गोरखपुर के साथ ही उत्तर प्रदेश के झांसी, मेरठ और बरेली शहर में रहने वाले लोगों के लिए एक अच्छी खबर है। क्योंकि गोरखपुर की तर्ज पर अब प्रदेश के तीन और शहरों में चिड़ियाघर खोलने की तैयारी शुरू हो गई है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के ड्रीम प्रोजेक्ट शहीद अशफाकउल्ला खान जूलॉजिकल पार्क गोरखपुर की तरह झांसी, मेरठ और बरेली में भी चिड़ियाघर खोलने की प्रक्रिया जल्द शुरू कर दी गई है।Read Also:-काम की खबर: मोटरसाइकिल चलाने वालों और वाहन चलाने वालों के लिए बड़ी खबर, ड्राइविंग लाइसेंस के बारे में अहम जानकारी
राज्य मंत्री ने कहा-चिड़ियाघर स्थापित करने की संभावनाएं तलाशें
झांसी के मुख्य वन संरक्षक पीपी सिंह ने झांसी में चिड़ियाघर की स्थापना के संबंध में गोरखपुर के डीएफओ से गोरखपुर चिड़ियाघर के पुराने प्रस्ताव और डीपीआर (विस्तार परियोजना रिपोर्ट) की एक प्रति मांगी, तत्कालीन वन राज्य मंत्री अरुण कुमार के साथ बैठक की बरेली में अधिकारी, बरेली में चिड़ियाघर। स्थापना के संबंध में संभावना तलाशने को कहा।
इसके बाद मेरठ में भी इसकी प्रक्रिया शुरू हुई। इसके साथ ही गोरखपुर वन विभाग चिड़ियाघर के पुराने प्रस्ताव और डीपीआर (विस्तार परियोजना रिपोर्ट) की प्रतियां भी तीनों जिलों के वन विभाग को सौंप दी गई हैं। जल्द ही एक प्रस्ताव बनाकर सरकार को भेजा जाएगा और उम्मीद है कि जल्द ही इन तीनों शहरों में चिड़ियाघर खोलने की प्रक्रिया भी पूरी कर ली जाएगी।
उत्तर प्रदेश में अब 3 चिड़ियाघर, 3 और खोलने की तैयारी
वहीं, वर्तमान में उत्तर प्रदेश में केवल तीन चिड़ियाघर हैं। इनमें लखनऊ, कानपुर और गोरखपुर के चिड़ियाघर शामिल हैं। लेकिन सरकार की मंशा ज्यादा से ज्यादा शहरों में चिड़ियाघरों की स्थापना कर इसे पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित करने के साथ ही यहां के वन्य जीवों के प्रति लोगों को जागरूक करना है। इसे देखते हुए झांसी, मेरठ और बरेली में चिड़ियाघर खोलने की तैयारी शुरू हो गई है।
मेरठ में बड़े पैमाने पर जानवरों को बचाया जाता है
वहीं, बरेली के फतेहगंज पश्चिम की बंद पड़ी रबर फैक्ट्री की जमीन चिड़ियाघर के लिए चिन्हित की जा रही है। इसके अलावा मेरठ में बड़े पैमाने पर जानवरों को रेस्क्यू किया जाता है। वहां तेंदुओं की संख्या काफी अधिक है। कभी-कभी पीलीभीत के टाइगर रिजर्व से भटकते हुए मेरठ पहुंच जाते हैं।
हाल ही में मेरठ में एक तेंदुए का शावक मिला था। जिसे भूल कर मां ने छोड़ दिया। इसके बाद मेरठ वन विभाग की टीम ने सिम्बी के शावक को गोरखपुर के चिड़ियाघर भेज दिया। जहां वह फिलहाल रह रहा है। इन्हीं बातों को ध्यान में रखते हुए मेरठ में जू स्थापित करने की तैयारी तेज कर दी गई है।
262 करोड़ की लागत से गोरखपुर चिड़ियाघर की स्थापना की गई है
दरअसल गोरखपुर चिड़ियाघर 121 एकड़ जमीन पर 262 करोड़ रुपये की लागत से बना है। चिड़ियाघर के 30 प्रतिशत हिस्से पर पहले से ही पेड़-पौधे लगाए गए थे। चिड़ियाघर के पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ. योगेश प्रताप सिंह का कहना है कि जिस जमीन पर चिडिय़ाघर बनना है, वहां देखना होगा कि वहां जलजमाव की समस्या न हो। पेड़-पौधों की व्यवस्था पहले से है या नहीं। इसे देखते हुए चिड़ियाघर के लिए केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण से अनुमति मांगी जा सकती है।
गोरखपुर चिड़ियाघर में आएंगे 400 वन्य जीव
गोरखपुर के डीएफओ विकास यादव ने बताया कि गोरखपुर चिड़ियाघर में इस समय 36 प्रजातियों के 200 वन्य जीव हैं। जबकि वर्तमान में यहां कुल 68 प्रतिशत में से 400 वन्य जीवों को लाने की प्रक्रिया चल रही है। इसी की तर्ज पर राज्य में तीन और चिड़ियाघर बनाने की तैयारी चल रही है। इन चिड़ियाघरों को गोरखपुर की तर्ज पर विकसित किया जाएगा। झांसी से प्रस्ताव व डीपीआर की कॉपी मांगी गई थी, जिसे वहां के वन अधिकारियों को भी सौंप दिया गया है।
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